आज जरुरत है , आजाद ख़याल की । आजाद ख़याल तो कभी कभी ही आते है । पुराने भरे पड़े है । उन्ही में से आते रहते है । पर जब आजाद ख्याल आते है तो हलचल मचा देते है । कभी कभी ये ख्याल मन बहलाने के तरकीब ही नजर आते है । आजाद ख़याल तो आ जाते है फ़िर दब जाते है । हालात से समझौता कर लेते है । जब यही करना था तो आने का कोई मतलब नही रह जाता । आओ तो पुरी तरह से आओ , नही तो आओ ही मत ।
Khyal hamesha kisi paristhiti ki up aaj hi hote hain ... Badi mushkil se hi aate hain azad khyal ... Thoughtful writing ...
ReplyDeletethanks....
DeleteKhyal hamesha kisi paristhiti ki up aaj hi hote hain ... Badi mushkil se hi aate hain azad khyal ... Thoughtful writing ...
ReplyDeleteआजाद ख़याल .... ! आओ तो पुरी तरह से आओ , नही तो आओ ही मत .... !!
ReplyDeleteसमय के अनुसार रचना .... !! आज जरुरत है , आजाद ख़याल की... !!
thanks.......
Deleteवो पोस्ट तो है ही नहीं जिसका लिंक हमने दिया था!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
लिंक आपका है यहीं, कोई नहीं प्रपंच।।
आपकी प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!
सच कहा...
ReplyDeletesahi kaha aapne bina ajad khayal ke kuch naya nai possible hai 1
ReplyDeleteभिखारी का धर्मसंकट
Deleteअत्यंत गहन भाव सच कहा
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