कोई सिर्फ़ गजरे से घर सजाना चाहता है तो किसी को आकाश ही चाहिए । किसी को कम पर संतोष नही ...सब एक दुसरे को धोखा देने में लगे है । हर कोई दिखावा ही कर रहा ...सादगी तो जैसे बहुत पीछे .....!
किसी के लिए रिश्ते नाते सब नाटक है ...इसी बहाने लूटने का मौका मिल जाता है ....ओह !अग्नि के सात फेरे का कोई मोल नही ....
देह को लाल पिला करना ही आधुनिकता हो गई ...सबको हो क्या गया है !अबूझ पहेली .....हद हो गई है ।
....कोई रोकता क्यों नही ,रोकने वाले भी तो मिलावटी हो गए है ।
आशा के पर लग गए और तुम अभी उड़े नहीं क़यामत का इन्तजार कर रहे क्या ? प्यारी चीज थी तो क्या हुआ .. अब तो रहा नहीं , उस प्यार का लोभ... अब तो छोड़ दो !
Thursday, November 26, 2009
Monday, November 16, 2009
क्या दिखावा है !
वाह !
एकदम रंगीन
इतने पारंगत
नक़ल भी छिप गया
इसे कहते है ...कलाकारी
सच !
हम एक रंगमंच पर
नाच रहे
अपनी अपनी
कला को बेचकर
क्या दिखावा है !
Sunday, November 1, 2009
सब हंस रहे है ...
हंसों
खूब हंसों
सब हंस रहे है
तुम पीछे हो !
अपने
बेगाने
नए
पुराने
सब हंस रहे है
और
तुम पीछे हो !
खूब हंसों
सब हंस रहे है
तुम पीछे हो !
अपने
बेगाने
नए
पुराने
सब हंस रहे है
और
तुम पीछे हो !
ज़माना बदल गया !
अब घोडें कम दीखते है । फिल्मों में भी नहीं । उनका भी एक ज़माना था । शान से दौड़ते थे । ....पर अब क्या काम ?
बेचारें । रहेगें कहाँ ? हमने तो जगह छोड़ी ही नहीं ।
बेचारें । रहेगें कहाँ ? हमने तो जगह छोड़ी ही नहीं ।
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