Sunday, April 29, 2012

तुम्हारी याद

 तुम्हारी याद 
 गुनगुनी धूप की तरह 
जीवन के पहर में 
चंद सांसों  के मध्य !

आवाज लगाता गया 
याद आती गयी 
इस सर्द मौसम में 
गुनगुनी धूप की तरह 
और पहर ख़त्म !

बेचैन मन 
एक टक देखता 
बीते लम्हों को 
और निहारता 
गुनगुनी धूप !




5 comments:

  1. आवाज लगाता गया
    याद आती गयी
    इस सर्द मौसम में
    गुनगुनी धूप की तरह
    और पहर ख़त्म !
    बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति

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  2. बेचैन मन
    एक टक देखता
    बीते लम्हों को
    और निहारता
    गुनगुनी धूप !
    Wah!

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  3. तुम्हारी याद
    गुनगुनी धूप की तरह
    बहुत सुन्दर प्रस्तुति...

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  4. बेचैन मन
    एक टक देखता
    बीते लम्हों को
    और निहारता
    गुनगुनी धूप !

    मन को छूती पंक्तिया !

    : मैंने सिर्फ इशारा किया

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  5. बहुत ही बढ़िया

    सादर

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