Wednesday, April 6, 2011

ऐ मेरे वतन के लोगों....

ऐ मेरे वतन के लोगों
तुम खूब लगा लो नारा
ये शुभ दिन है हम सब का
लहरा लो तिरंगा प्यारा
पर मत भूलो सीमा पर
वीरों ने है प्राण गँवाए
कुछ याद उन्हें भी कर लो -२
जो लौट के घर न आये -२


ऐ मेरे वतन के लोगों 
ज़रा आँख में भर लो पानी
जो शहीद हुए हैं उनकी
ज़रा याद करो क़ुरबानी
 
जब घायल हुआ हिमालय
खतरे में पड़ी आज़ादी
जब तक थी साँस लड़े वो
फिर अपनी लाश बिछा दी
संगीन पे धर कर माथा 

सो गये अमर बलिदानी
जो शहीद हुए है उनकी 
जरा याद करो कुर्बानी 
जब देश में थी दीवाली
वो खेल रहे थे होली
जब हम बैठे थे घरों में
वो झेल रहे थे गोली
थे धन्य जवान वो आपने
थी धन्य वो उनकी जवानी
जो शहीद..

कोई सिख कोई जाट मराठा
कोई गुरखा कोई मदरासी
सरहद पर मरनेवाला 
हर वीर था भारतवासी
जो खून गिरा पवर्अत पर
वो खून था हिंदुस्तानी
जो शहीद...

थी खून से लथ-पथ काया
फिर भी बन्दूक उठाके
दस-दस को एक ने मारा
फिर गिर गये होश गँवा के

जब अन्त-समय आया तो
कह गये के अब मरते हैं
खुश रहना देश के प्यारों
अब हम तो सफ़र करते हैं
क्या लोग थे वो दीवाने
क्या लोग थे वो अभिमानी
जो शहीद हुए ...
 
तुम भूल न जाओ उनको
इस लिये कही ये कहानी
जो शहीद हुए ...

8 comments:

  1. राष्ट्र प्रेम से ओत प्रोत , सुन्दर गीत प्रस्तुत करने के लिए आभार ..

    ReplyDelete
  2. Haan yaad dilate rehna chahiye humein khud ko.. k aaj ka sukh ateet ki kurbaniyo ka nateeja h.. iski keemat samajhni chahiye :)

    ReplyDelete
  3. आभार यह गीत पढ़वाने का.

    ReplyDelete
  4. बहुत बहुत धन्यवाद इस गीत को पढवाने का.....

    ReplyDelete
  5. आभार यह गीत पढ़वाने का|

    ReplyDelete
  6. प्रिय बंधुवर मार्क राय जी
    सादर सस्नेहाभिवादन !

    महा कवि प्रदीप जी के लिखे इस अमर गीत के लिए आभार आपका !

    एक विनम्र निवेदन
    यद्यपि सर्वविदित है, फिर भी गीत के साथ गीतकार का नाम लिख कर शब्द-सरस्वती सहित रचनाकार के प्रति कृतज्ञता - आभार की भावाभिव्यक्ति हो तो सोने पर सुहागा …


    नवरात्रि की शुभकामनाएं !

    साथ ही…

    नव संवत् का रवि नवल, दे स्नेहिल संस्पर्श !
    पल प्रतिपल हो हर्षमय, पथ पथ पर उत्कर्ष !!

    चैत्र शुक्ल शुभ प्रतिपदा, लाए शुभ संदेश !
    संवत् मंगलमय ! रहे नित नव सुख उन्मेष !!

    *नव संवत्सर की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !*


    - राजेन्द्र स्वर्णकार

    ReplyDelete
  7. राष्ट्र प्रेम से ओत प्रोत , सुन्दर गीत पढ़वाने का आभार.

    ReplyDelete
  8. सुन्दर गीत पढ़वाने का आभार.....

    ReplyDelete