Wednesday, March 7, 2012

ऐ मनुष्य

ऐ मनुष्य,
कब तक शोक मनायेगा ...और ज़िन्दगी लुटती जाएगी
..फिर शोक कैसा ?ये शोक नहीं चुभन है .
ज़िन्दगी भर का दर्द है .टूटे हुए तारों का लोभ ...
अब तो छोड़ दो !
हाथ में आई चांदनी को समेट लो ...
एक सितारा जग मगा रहा ...
आशा करो वो बुझाने पाए नहीं ...
ऐ मनुष्य,
कब तक शोक मनायेगा ...और ज़िन्दगी लुटती जाएगी

आशा के पर लग गए और तुम अभी उड़े नहीं
क़यामत का इन्तजार कर रहे क्या ?
प्यारी चीज थी तो क्या हुआ ..
अब तो रहा नहीं ,
उस प्यार का लोभ...
अब तो छोड़ दो !

4 comments:

  1. सन्देश तो दिव्य है!
    काश आत्मसात हो पाए!

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  2. जो कुछ मनुष्य के पास नहीं होता इसी की चाह तो रखता है ... उसी का शोक मनाता है ...
    आपको होली की शुभ कामनाएं ...

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  3. बहुत अच्छी प्रस्तुति| होली की आपको हार्दिक शुभकामनाएँ|

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