Friday, April 8, 2011

आईये हम सब मिलकर उन्हें श्रधांजलि देते है ....

आचार्य जानकी वल्लभ शास्त्री ने 16 वर्ष की उम्र में ही अपनी पहली पुस्तक 'काकली' लिखी थी.
वर्ष 1916 में गया के मैरवा में जन्मे शास्त्री ने मुजफ्फरपुर को अपनी कर्मस्थली बनाया.
उनका आवास निराला निकेतन हिन्दी प्रेमियों का तीर्थ बना रहता था. 
आचार्य की मुख्य रचनाओं में रूप-अरूप, तीर-तरंग, शिप्रा, मेघ गीत, अवंतिका, धूप दुपहर की के अलावा दो तिनकों का घोंसला और एक किरण : सौ झाइयां काफी प्रसिद्ध रही। उन्होंने अपनी आत्मकथा भी लिखा .
हम इस महान आत्मा के जाने बड़े व्याकुल और बेचैन है . आईये हम सब मिलकर उन्हें श्रधांजलि देते है .

3 comments:

  1. विनम्र श्रद्धांजलि ...नमन

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  2. unko meri taraf se tatha samast blogar bandhuon ki taraf se vinamra shradhanjali

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  3. Bhavpurna Shradhanjali.........

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