आज पत्रकारों की बाढ़ आ गयी है .हर कोई अपनी पत्रकारिता के झंडे गाड़ना चाहता है .केवल ख्यालों में ही .अच्छे पत्रकार बनने के लिए काफी समर्पण की जरुरत होती है और उसके लिए गहन अध्ययन करना होता है .अपने विचारों को बिना किसी दबाव के रखना होता है और किसी भी मुद्दे पर संतुलित होकर अपने विचार रखने पड़ते है .समाज के प्रति जिम्मेदारी निभानी पड़ती है . एक पत्रकार दबाव समूह के अंग के रूप में काम करता है जो जनता की परेशानियों को सरकार के समक्ष जोरदार तरीके से रखता है .
आज तो ये गुण विरले ही मिलते है . सबको पैसा बनाने की जल्दी है . उनके पास तर्क भी है की अगर हम थोड़े भी ढीले हुए तो पीछे छुट जायेंगें और फिर दुबारा मौका नहीं मिलेगा .आखिर आजाद भारत में सबको पैसा बनाने की आजादी हासिल है तो हम क्यों पीछे खड़े रहे ?पैसे लेकर खबर छापना ,किसी ख़ास व्यक्तित्व की तरफदारी करना अधिकाँश पत्रकारों की पहचान बनती जा रही है .जानकारी भले ही न हो सनसनी बनाना तो सबको आता है .कारपोरेट घरानों की गोद में बैठकर खेलने में सोने चांदी के सिक्के बरसते है .सिक्के तो पाकर ये थोड़ी सी सुख सुविधा हासिल जरुर कर लेते है पर अपने पेशें को बेच डालते है .कोई कुछ नहीं कर सकता ,इनकी अपनी जिंदगी है ,जैसे चाहे जिए ...दुःख तो इस बात का है की पत्रकारिता के लोकतांत्रिक पक्ष का क्षरण होता जा रहा है .
एक पत्रकार दबाव समूह के अंग के रूप में काम करता है जो जनता की परेशानियों को सरकार के समक्ष जोरदार तरीके से रखता है .
ReplyDeletesach me yeh gun to kho hi gaye hain.... jo ho raha hai...behad afsosjanak hai....saarthak post
Sahi kaha aapne ab patrkarita bikne lagi aap kuchh paise de kar khareed sakte hai
ReplyDeleteसही बात है..पर इसका हल मुख्य मुद्दा है..
ReplyDeleteSACH HAI, PATRKARITA KA SWARUP HI BADAL GAYA HAI...
ReplyDeleteपत्रकारिता कोई साधारण पेशा नहीं है ज्यो लोग समज़ते है क्योंकी जब तक वो आम जनताकी समस्याओंसे परिचित नहीं है, वो भला उनके दुःख को कैसे जाने? और उनकी आवाज़ को बुलंद भी कैसे करे? पत्रकारितामें उच्चतम मुल्योका सन्मान होना चाहिए तथा समर्पण भाव चाहिए ज्यो उसकी कलम अधिक प्रभावशाली कर दे. दुर्भाग्यवश यह होना बहुतही मुश्कील लगता है.
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