Thursday, December 2, 2010

अँधेरा

सूरज की किरणे मुझ पर भी वैसे ही पड़ती है , जैसे दूसरो पर .. अफ़सोस  !मुझमे गर्मी पैदा करने की
ताकत उसमे नही ।
कौन जानता ...मै वह अन्धकार बन गया हूँ , जिसपर उजाले का कोई असर नही ।

6 comments:

  1. तारीफ के लिए हर शब्द छोटा है - बेमिशाल प्रस्तुति - आभार.

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  2. Mark..srry bt its अफसोस na k अफ्शोश

    Aur andhere me sach me garmi paida karna mushkil h...kyuki raushni apne sath tamam garmi bhi le jati h...

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  3. aakash ko pane ko haath badhaiye
    suraj khud hasil hoga
    andhere ko chirne kee kshamta hamare andar hi hoti hai

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