आशा के पर लग गए और तुम अभी उड़े नहीं
क़यामत का इन्तजार कर रहे क्या ?
प्यारी चीज थी तो क्या हुआ ..
अब तो रहा नहीं ,
उस प्यार का लोभ...
अब तो छोड़ दो !
Thursday, December 2, 2010
अँधेरा
सूरज की किरणे मुझ पर भी वैसे ही पड़ती है , जैसे दूसरो पर .. अफ़सोस !मुझमे गर्मी पैदा करने की
ताकत उसमे नही ।
कौन जानता ...मै वह अन्धकार बन गया हूँ , जिसपर उजाले का कोई असर नही ।
तारीफ के लिए हर शब्द छोटा है - बेमिशाल प्रस्तुति - आभार.
ReplyDeleteMark..srry bt its अफसोस na k अफ्शोश
ReplyDeleteAur andhere me sach me garmi paida karna mushkil h...kyuki raushni apne sath tamam garmi bhi le jati h...
monali thanks for advice....
ReplyDeleteWah! Bahut achhee rachana!
ReplyDeleteaakash ko pane ko haath badhaiye
ReplyDeletesuraj khud hasil hoga
andhere ko chirne kee kshamta hamare andar hi hoti hai
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