रिश्ते नाते सब नाटक है ...इसी बहाने लूटने का मौका मिल जाता है ....ओह !अग्नि के सात फेरे का कोई मोल नही ....
देह को लाल पिला करना ही आधुनिकता हो गई ...सबको हो क्या गया है !अबूझ पहेली .....हद हो गई है ।
....कोई रोकता क्यों नही ,रोकने वाले भी तो मिलावटी हो गए है ।
अब तो इन फ़ोकट के नाटकों से लोग करोड़ों कमा रहे हैं चैनल वाले..
ReplyDeleteऔर इतने बेवक़ूफ़ लोग बैठे हैं जो इन्हें बड़ी तल्लीनता से देखते भी हैं..
भले ही अपना घर फूटा पड़ा हो...
कुछ शब्द.... सारी हकीकत ... बहुत खूब
ReplyDeleteयही तो हो रहा है.....
सब कुछ बदल गया है। हम ने ही तो बदला है हम ही कैसे रोक सकते हैं?
ReplyDeleteरोकने वाले भी तो मिलावटी हो गए है ।
ReplyDeletebahut khub
अगर कोई एक इंसान रिश्तों को निभाए तो दूसर भी कोशिश करेग ... बस शुरुआत भर की jaroorat है ...
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