Monday, November 15, 2010

रिश्ते....

रिश्ते नाते सब नाटक है ...इसी बहाने लूटने का मौका मिल जाता है ....ओह !अग्नि के सात फेरे का कोई मोल नही ....
देह को लाल पिला करना ही आधुनिकता हो गई ...सबको हो क्या गया है !अबूझ पहेली .....हद हो गई है ।
....कोई रोकता क्यों नही ,रोकने वाले भी तो मिलावटी हो गए है ।

5 comments:

  1. अब तो इन फ़ोकट के नाटकों से लोग करोड़ों कमा रहे हैं चैनल वाले..
    और इतने बेवक़ूफ़ लोग बैठे हैं जो इन्हें बड़ी तल्लीनता से देखते भी हैं..
    भले ही अपना घर फूटा पड़ा हो...

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  2. कुछ शब्द.... सारी हकीकत ... बहुत खूब
    यही तो हो रहा है.....

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  3. सब कुछ बदल गया है। हम ने ही तो बदला है हम ही कैसे रोक सकते हैं?

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  4. रोकने वाले भी तो मिलावटी हो गए है ।
    bahut khub

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  5. अगर कोई एक इंसान रिश्तों को निभाए तो दूसर भी कोशिश करेग ... बस शुरुआत भर की jaroorat है ...

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