Wednesday, April 8, 2009

काश !

काश ! सभी भेड़ बकरियों की तरह ही निरीह होते । आपस में दौड़ नही होती । कोई किसी को नही मारता । कोई किसी को कुचलता नही । सोचो ! कितना अच्छा होता ।

3 comments:

  1. बिल्‍कुल सही कहा आपने

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  2. ‌‌‍छमा करें मैं आपसे सहमत नहीं। क्यॊकि जीवन संघर्ष है। भेड-बकरियॊ का जीवन तॊ और भी अनिश्चत है। वहां हमारी अपे‌छा अधिक संघर्ष है। जीवन जीने के लिए संघर्ष।

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  3. himansu jee jiwan sangharsh se mai inkaar nahi kar raha ..mera marlab kuchh dusara hai ki kaas koi kisi ko pairon tale round kar aage nahi badhata ...aage jaana achchhi baat hai ..par kisi nirih ki kimat par nahi ... sabhi logo ko ek samaan stage nahi mil pata hai ....

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