Monday, April 13, 2009

आजाद ख़याल

आज जरुरत है , आजाद ख़याल की । आजाद ख़याल तो कभी कभी ही आते है । पुराने भरे पड़े है । उन्ही में से आते रहते है । पर जब आजाद ख्याल आते है तो हलचल मचा देते है । कभी कभी ये ख्याल मन बहलाने के तरकीब ही नजर आते है । आजाद ख़याल तो आ जाते है फ़िर दब जाते है । हालात से समझौता कर लेते है । जब यही करना था तो आने का कोई मतलब नही रह जाता । आओ तो पुरी तरह से आओ , नही तो आओ ही मत ।

5 comments:

  1. aajad khyl sunne me kitna accha lagta hai na . lekin khyal to kud hi man se bandhe hote hai .

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  2. bahut gehri soch aur utne hee gehre vichaar :)

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  3. सही फरमाते हैं आप। आजाद ख्याल वाले लोग ही दुनिया को बदलते हैं।
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    तस्‍लीम
    साइंस ब्‍लॉगर्स असोसिएशन

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  4. पुराने ख़याल भी आज़ाद ख़याल हो सकते है,महसुस करने की क्षमता होनी चाहिए |

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