आशा के पर लग गए और तुम अभी उड़े नहीं क़यामत का इन्तजार कर रहे क्या ? प्यारी चीज थी तो क्या हुआ .. अब तो रहा नहीं , उस प्यार का लोभ... अब तो छोड़ दो !
बनारसी खाट पर बैठे चिल्ला रहा था। कलपतिया ने उसे खाना देते हुए कहा:
'बकवास मत करो। चुपचाप ठुसो। मुझे अभी दो और घरों में बर्तन मांजने जाना है। तबतक बच्चे भी ईस्कूल से आ जायेगें।'
इतना कहकर वह भनभनाते हुए बाहर निकल गई।
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