Saturday, September 3, 2022

अंत

 अंत की शुरुआत तो हमारी सोच के विकृत होने से ही हो जाती है। अंत बाद में दिखाई देता है।सोच का विकृत होना ही मृत्यु है। शरीर भले ही बाद में जलाया जाता है।  अंत का दृश्य दिखाई नहीं देता,इसका मतलब यह नहीं कि वह अंत नही है। यह मिथक टूट भी सकता है या फिर इसी मिथक के साथ इस दुनिया से जाने का समय भी हो जाता है।


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