Sunday, February 21, 2021

मौन

मौन वरदान है 
और अभिशाप भी
दो रास्तें है 
अब तय करना है 
कि चुनाव किसका हो

दोराहे पर खड़ा राहगीर
सोच रहा 
कदम किधर बढायें
मौन को कैसे साधें 
विकट समय है
निर्णयन की घड़ी है
वरदान या अभिशाप

3 comments:

  1. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज सोमवार 22 फरवरी 2021 को साझा की गई है.........  "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  2. जीवन सफर में कहीं न कहीं मौन तोडना ही पड़ता है
    बहुत सुन्दर प्रस्तुति

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  3. I would be fantastic if you could point me in the direction of a good platform.

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