वो सुबह सबेरे का अंदाज , गायों का रम्भाना ,
भागते हुए नहर पर जाना और पूरब में लालिमा छाना ,
सबकुछ याद है ।
बैलों की खनकती हुई घंटियाँ , दूर - दूर तक फैली हरियाली ,
वो पीपल का पेड़ और छुपकर जामुन पर चढ़ जाना ,
सबकुछ याद है ।
आशा के पर लग गए और तुम अभी उड़े नहीं क़यामत का इन्तजार कर रहे क्या ? प्यारी चीज थी तो क्या हुआ .. अब तो रहा नहीं , उस प्यार का लोभ... अब तो छोड़ दो !