Wednesday, December 19, 2018


वो सुबह सबेरे का अंदाज , गायों का रम्भाना ,
भागते हुए नहर पर जाना और पूरब में लालिमा छाना ,
सबकुछ याद है ।
बैलों की खनकती हुई घंटियाँ , दूर - दूर तक फैली हरियाली ,
वो पीपल का पेड़ और छुपकर जामुन पर चढ़ जाना ,
सबकुछ याद है ।

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