Tuesday, February 21, 2012

रंगीली दुनिया बेरंग क्यों लगती है ?

रंगीली दुनिया कभी बेरंग क्यों लगती है ?
ज़िन्दगी इतनी छोटी है ,फ़िर लम्बी क्यों लगती है ?
इंसान दयालु से हैवान कैसे बन जाता है ?
कोई क्यों किसी को छोड़ कर चला जाता है ?
.....अंत में सब शून्य ही क्यों दीखता है ?

10 comments:

  1. शून्य ही तो आरम्भ है... जीवन के हर रंग का अपना महत्त्व है...

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    1. sandhya ji........har rang ka apna mahtw hai aur..black and white ke to kya kahne...

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  2. In mese kisee bhee sawal ka jawaab nahee milta!

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  3. प्रश्न गंभीर हैं लेकिन जवाब किसके पास है...

    नीरज

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    1. thanks ....ekdam sahi kaha aapne iska jawab hamaare paas nahi ham sirf ...awlokan kar sakte hai...

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  4. सब कुछ शून्य से उत्पन्न हुआ है और अंत में शून्य में ही विलीन होना है तो सब कुछ शून्य दिखेगा ही !

    अच्छी पंक्तियां।

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    1. thanks Verma ji....shuny me vilin ho hi jana hai fir bhi ham sab bhaagte rahte hai....

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  5. विचारणीय , पर जीवन का फलसफा तो यही है.....

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    1. bilkul sahi kaha aapne...jiwan ka falsafaan to yahi hai...

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