Saturday, October 22, 2011

पानी का रंग कैसा!


पानी का रंग कैसा! आज पता ही नहीं चलता .कभी शुद्ध हवा और पानी मिला करता था ,हमारे बुजुर्ग बताते है की वे  कुआँ और तालाब का पानी भी पी  लेते थे . हालांकि वह कोई अच्छा काम नहीं था फिर भी इतना तो तय है, की आज की तरह पानी दूषित तो नहीं रहता होगा .
अभी एक योजना के तहत लवणीय जल को मीठे जल में बदल कर पेय जल की समस्या को दूर करने का प्रयास किया जा रहा है .यह बहुत ही खर्चीला पड़ेगा पर इसके अलावा हमें कोई दूसरा उपाय छोड़ा कहाँ है ? पर इतना खर्च एक गरीब राष्ट्र के लिए करना संभव नहीं है .अतः यह तय है की भविष्य में गरीबों को शुद्ध पानी नहीं मिलने वाला .
बोतल बंद पानी का दाम भी सुरसा के मुंह की तरह बढ़ ही रहा है और भूमिगत पानी का क्या हाल है ? एक अनजान आदमी भी बता सकता है .

8 comments:

  1. पानी की गंभीर समस्या है ..

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  2. पानी रे पानी तेरा रंग कैसा
    दुनिया बनानेवाले रब जैसा.

    आपने अपनी सुन्दर प्रस्तुति से पानी की
    समस्या से अवगत कराया है.

    इस प्रस्तुति के लिया आभार.

    मेरे ब्लॉग पर आईयेगा.
    नई पोस्ट पर आपका स्वागत है.

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  3. bahut gambheer samasya ki taraf ishara kiya hai aapne.sarahniye post.

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  4. aapke blog se jud rahi hoon taki aapki nai post ki jankari milti rahe.

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  5. बहुत गंभीर समस्या है और दिन प्रतिदिन गंभीर होती जा रही है, वक़्त ऐसे ही बीतता गया और ठोस कदम नहीं उठाये गए तो ऐसी ही परिस्थिति का निर्माण होगा... सार्थक लेखन

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  6. विचारकों का कहना है कि अगला विश्वयुद्ध पानी के लिए लड़ा जाएगा।
    आपकी चिंता सही है।

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  7. बढ़िया प्रस्तुति शुभकामनायें आपको !
    आप मेरे ब्लॉग पे आये आपका में अभिनानद करता हु

    दीप उत्‍सव स्‍नेह से भर दीजिये
    रौशनी सब के लिये कर दीजिये।
    भाव बाकी रह न पाये बैर का
    भेंट में वो प्रेम आखर दीजिये।
    दीपोत्‍सव की हार्दिक शुभकामनाओं सहित
    दिनेश पारीक

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