Thursday, November 24, 2011

वाह !


वाह !
एकदम रंगीन
इतने पारंगत
नक़ल भी छिप गया
इसे कहते है ...कलाकारी
सच !
हम एक रंगमंच पर
नाच रहे
अपनी अपनी
कला को बेचकर
क्या दिखावा है !

10 comments:

  1. इसे कहते है ...कलाकारी, bahut badhiyaa

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  2. वाह...बेजोड़ रचना...बधाई स्वीकारें

    नीरज

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  3. Oh....sach! Aisee hee kalakaaree rah gayee hai!

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  4. मार्क राय जी आपकी रचना अच्छी लगी पढकर.

    समय मिलने पर मेरे ब्लॉग पर आईयेगा.

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  5. हम एक रंगमंच पर
    नाच रहे
    अपनी अपनी
    कला को बेचकर
    क्या दिखावा है !
    bilkul sach hai...

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  6. मेरे ब्लॉग पर आप आये,बहुत ही अच्छा लगा.
    एक बार फिर मेरी नई पोस्ट पर आईयेगा,मार्क राय जी.

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  7. behatarin shabd bandhan.....sundar ahasas liye hue rachana

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