लमुहा एक स्थान जिससे मुझे काफी लगाव है .मेरे ननिहाल में एक तालाब है जिसे सभी लमुहा के नाम से जानते है .बचपन में यही पर छठ माता की घाट बनती थी और सभी बच्चे वहां की साफ़ सफाई करते थे .छठ पर्व की रात को हम मिटटी की बनी ढकनी में दिया रख कर लमुहा में तैराते थे फिर उसे धान की पुआल पर रख कर लमुहा के बीच ले जाने का प्रयास करते थे . सच बहुत मज़ा आता था.मै एक अच्छा तैराक भी था .कई बार मैंने लामुहा को आर पार भी किया था .सब बच्चे मेरा लोहा मानते थे .अभी कुछ दिन पहले उस स्थान को देख कर वो दिन याद आ गए .लमुहा एक ऐसी जगह है जहाँ से मेरे बचपन की यादें जुडी है.
आज लमुहा अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है ....चारो तरफ गन्दगी ही गन्दगी ...मछलियों का जीना दूभर हो गया है ...और चारो ओर से कब्ज़ा करने वाले कोई मौका नहीं छोड़ रहे ...साफ़ सफाई का भी बुरा हाल है ...उसका आयतन भी छोटा होता जा रहा है...कुछ सालों में वह हमसे विदा ले लेगा और फिर वहां पर पक्के कंक्रीट के घर नज़र आयेंगे .....बेचारा!... उसे भी लोगों ने नहीं छोड़ा .
yaadpn ke saath chalna achha laga...aur aaj ki sthiti ka dard
ReplyDeleteबचपन की यादें सचमुच मीठी होती हैं।
ReplyDeleteबेहतरीन एवं प्रशंसनीय प्रस्तुति ।
ReplyDeleteकुछ सालों में वह हमसे विदा ले लेगा और फिर वहां पर पक्के कंक्रीट के घर नज़र आयेंगे .....बेचारा!...
ReplyDeleteyahi hamara durbhagy hai prakrati ki den se khilvad karte hai achhi post
.
Aapke bachpan k saathi ko bachane ka koi prayaas nahi kia aapne.. ya aapke saathiyo ne????
ReplyDeletemonali ji kiya tha ..par wahan par regular nahi hone ke karan...prayaas successful nahi ho saka..par ummid kayam hai...
ReplyDeletenice post...
ReplyDeletePlease Visit My Blog..
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आपके लमुहा ने मुझे अपने बाया नदी की याद दिला दी जिसे करीब दस साल बाद देखा....और देखकर बिल्कुल वैसा ही लगा जैसा आपने लिखा है...लोगों ने उसे भी नहीं छोड़ा..उसके आसपास के छोटे-बड़े पेड़ सब धराशायी कर दिए और उसकी जगह जाने कितने अंग्रेज़ी स्कूलों ने ले लिया..
ReplyDeleteनव वर्ष 2011
ReplyDeleteआपके एवं आपके परिवार के लिए
सुखकर, समृद्धिशाली एवं
मंगलकारी हो...
।।शुभकामनाएं।।
आपके जीवन में बारबार खुशियों का भानु उदय हो ।
ReplyDeleteनववर्ष 2011 बन्धुवर, ऐसा मंगलमय हो ।
very very happy NEW YEAR 2011
आपको नववर्ष 2011 की हार्दिक शुभकामनायें |
satguru-satykikhoj.blogspot.com
सचमुच मीठी यादें
ReplyDeleteनव वर्ष 2011
आपके एवं आपके परिवार के लिए
सुखकर, समृद्धिशाली एवं
मंगलकारी हो...
खुशियों भरा हो साल नया आपके लिए
ReplyDeleteलिखने का अंदाज़ कुछ अलग सा है लगता है आसानी से अपनी जगह बना लोगे !
ReplyDeleteशुभकामनायें !
दुर्भाग्य से ऐसे लमुहा आज हर शहर में हैं, हर सवेदनशील व्यक्ति की आँखों के सामने.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर, मनमोहक यादें----राय...
ReplyDelete--""बचपन में यही पर छठ माता की घाट बनती थी और सभी बच्चे वहां की साफ़ सफाई करते थे ."-....--Raai--यह एक उदाहरण है कि जिन विश्वासों/प्रथाओं को आज कल तथाकथित विग्यानी,अपने अग्यान में अन्धविश्वास कहकर दुहाई देते हैं वे नागरिकों को , बच्चो को अपने नागरिक कर्तव्यों में युक्त रहने को फ़ोर्स करते थे....इनके समाप्त होने का दुष्परिणाम ही नीचे लिखे वाक्य हैं...कि..
""आज लमुहा अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है ....चारो तरफ गन्दगी ही गन्दगी ...मछलियों का जीना दूभर हो गया है ""---अब कौन और क्यों सफ़ाई करने आये, बच्चे तो हेरी-पोटर देखने गये हैं...