Friday, September 4, 2009

किस्मत .....

किस्मत सो गई .... आखे थक गई । अब जाओ ..... मै भी जा चुका । अब मुझे तन्हा रहने दो । मुझे मजाक बनने दो .... तुमसे कोई शिकायत नही । गलती मेरी है । इतना चाहा । सारा जीवन दे दिया । अब मेरी शाम आ गई है तो तुम भी ...
पागल था । तेरी मुस्कुराहटों का । जागता था रातभर तुमको यादकर ..... तुमने अपनी अदाओं से जादू कर दिया ।
मै खिचता चला गया । तू मेरी मंजील थी । अब मै क्या राहें भी थक गई पर तेरा दर्शन नही हुआ । अब मै जा रहा हूँ ...... सबको छोड़कर ।

11 comments:

  1. kahna asaan hota hai ki ja raha hun jana bahut mushkil...azma ke dekh le.....gud post...

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  2. मार्क ..राहें तो बेजुबान होती हैं ..न थकती हैं न चलती हैं ...वो तो मुसाफिर हैं , जो चलते , चलते थक जाते हैं ..या ग़लत राह पे निकल पड़ते हैं ..गर राहों को ज़ुबाँ होती ,तो चींख , चींख के कहती ,' एक क़दम भी आगे न बढ़ाना , कि यहाँ तुम्हारी मंज़िल नही ...

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  3. बहुत सुंदर ढंग से आपने प्रस्तुत किया है! इंसान ज़रूर जाने की बात सोचता है पर सोचना जितना आसान होता है उसे कर पाना उतना ही मुश्किल!
    मेरे नए ब्लॉग पर आपका स्वागत है-
    http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com

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  4. सबको छोड़ कर जाने के बाद दर्शन हो जायेंगे क्या ?

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  5. क्रोध, आवेश, भावेश में लिए गए निर्णय कभी भी सही नहीं होते, बल्कि कमजोरी उजागर करते हैं,

    मंजिले तय (निश्चित) करने में क्या कोई भी कर सकता है, पर पूर्ण कुछेक की ही होती है. मंजिल प्राप्त करने के लिए प्रयास न करके सही कर्म खुदबखुद मंजिल को पास लाते हैं, वर्ना ये तो मृग मरीचिका है.

    हार्दिक स्नेह

    चन्द्र मोहन गुप्त
    जयपुर

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  6. SACH MEIN PYAAR MEIN AISAA HI HOTA HAI ...... KISI KA JADOO CHAL JAATA HAI FIR INSAAN USKO DHOONDHTA HAI ......... VO NAHI MILTA AUR DIL SASB KUCH CODNE PAR AAMAADA HO JAATA HAI ......

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  7. prem niraasha nahi...aasha hai...aap kisi ki yaad ko bhhi jab apni taakat, apni zidd, apna junoon bana le to baat hi kya hai...

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  8. अच्छी प्रस्तुति....बहुत बहुत बधाई...

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  9. ishvar ne gindgi jeene ke liye di hai chodne ke liye nahi

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  10. aapki kavita bhut achhi hai par ek bat m jrur khna chaugi kavita me jis ke jane ki baat aap kar rhe hai aapki kavita unki upasthiti ko darsha rhi hai bhle hi unka aks na ho aapke rubru par aapke shabd unke aks ki upasthiti apki aankho me bta rhe hai...
    aap bhut hi achha likhte hai bas ye thodi nakaratmkta achhi nhi lgti...
    kuch galat kh diya ho to kshama ki prarthi hu...

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