Thursday, June 25, 2009

हे भगवान् अब इन्तजार नही होता ..........

रातों में नही , दिन में ही तारें नजर आ गए ।
ऐसा तो सोचा न था ,अश्क आंखों से बह गए ।
बंद आंखों में तेरा ही चेहरा दीखता है ।
सुनो तो ,ये मेरा मन तुझसे कुछ कहता है ।
ख़्वाबों में न सोचा था ,पर तेरे कदम बहक गए ।
आँख अभी लगी ही थी , तुम चुपके से निकल गए ।

2 comments:

  1. वाह वाह क्या बात है! बहुत ही सुंदर कविता लिखा है आपने!

    ReplyDelete
  2. waah kya baat kahi hai aapane .......bahut khub

    ReplyDelete