आशा के पर लग गए और तुम अभी उड़े नहीं
क़यामत का इन्तजार कर रहे क्या ?
प्यारी चीज थी तो क्या हुआ ..
अब तो रहा नहीं ,
उस प्यार का लोभ...
अब तो छोड़ दो !
Monday, March 17, 2014
गाँव में पहले एक गाना भी सुनने को मिल जाता था.….
“राम जी की चिरिया, रामजी का खेत।।
खाय ले चिरिया, भर-भर पेट।।
अब यह गाना कहीं भी सुनने को नहीं मिलता। सच!! कितना बदल गया सबकुछ …
बदल्ते समय के साथ सबकुछ बदलना है ... जितना जल्दी अपना सकें उतना अच्छा है ...
ReplyDeleteयक़ीनन बदल तो गया है .....
ReplyDeleteगाँव का भी हर रंग धीरे धीरे बदलता जा रहा है.
ReplyDeletekam va saral shabdo mai - ek atulniy post-****
ReplyDeleteअब गाँव भी फिल्मी गीत का शौकीन हो गया है ।
ReplyDeleteबहुत खूब।
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