अंततः यूपीए की समन्वय समिति और कांग्रेस वर्किंग कमिटी की मंजूरी मिल जाने के बाद अलग तेलंगाना राज्य का बनना तय हो गया । यह देश का 29वां राज्य होगा।मेरा मानना है की यह फैसला देर से लिया गया और चुनावी माहौल में लिया गया.… सरकार की नज़र 2014 पर है। काश! ऐसे फैसले प्रशासनिक आधार पर लिए जाते। भारत की जनसँख्या जिस तरह से बढ़ी है इसके अपने फायदे या नुक्सान हो सकते है , पर इससे निश्चित रूप से प्रशासन की पहुँच आम आदमी तक कठिन हो गया है अतः सरकार को चाहिए की एक नए आयोग का निर्माण करे जो अन्य नए राज्यों की संभावनाओं का आकलन कर सके।
सरकार ने मधुमक्खी के छतें में हाथ डाल दिया है। तेलंगाना के गठन की घोषणा होने के कुछ ही देर बाद गोरखालैंड के लिए गोरखा रीजनल अथॉरिटी के सीईओ बिमल गुरूंग ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया।गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के एक समर्थक ने गोरखालैंड के समर्थन में कलीमपोंग शहर के दंबरचौक में आत्मदाह की कोशिश की। तेलंगाना के गठन पर सहमति के बाद कई अन्य छोटे राज्यों के गठन की मांग ने जोर पकड़ लिया है। हरित प्रदेश, विदर्भ, पूर्वांचल, गोरखालैंड, बुंदेलखंड जैसे कई छोटे राज्यों की मांग सामने आने लगी है। क्या अब छोटे राज्य बनाने की प्रक्रिया यहीं से शुरू हो जाएगी।
नागपुर से कांग्रेस सांसद ने अलग विदर्भ के लिए बकायदा सोनिया गांधी को चिट्ठी भी लिख दी है। मायावती ने तेलंगाना के गठन का स्वागत करते हुए यूपी को 4 हिस्सों में बांटने की वकालत कर डाली।तेलंगाना के गठन के साथ ही बोडोलैंड की मांग कर रहे नेताओं ने भी अपने विरोध प्रदर्शनों को और तेज करने की चेतावनी दी।
तेलंगाना में 10 जिले शामिल किए गए हैं। हैदराबाद 10 वर्षों तक दोनों राज्यों की साझा राजधानी होगा। इसके बाद तटीय आंध्र के किसी हिस्से में आंध्र प्रदेश की राजधानी बनाई जाएगी जबकि हैदराबाद तेलंगाना राज्य की ही राजधानी रहेगा।तटीय आंध्र, तेलंगाना से अलग होगा और यह रायलसीमा के साथ मिलकर आंध्र प्रदेश बनेगा। कांग्रेस ने तेलंगाना को आंध्र प्रदेश के 23 में से 10 जिले देकर राज्य की तकरीबन आधी लोकसभा सीटें देने की कोशिश की है। विधानसभा की 294 सीटों में से प्रस्तावित तेलंगाना को 119 सीटें मिलने की संभावना है।
नए राज्य का नाम रायल-तेलंगाना हो सकता है। तेलंगाना में आदिलाबाद, निजामाबाद, करीमनगर, मेडक, वारंगल, खम्मम, रंगारेड्डी, नालगोंडा, महबूबनगर और हैदाराबाद जिलों के अलावा रायलसीमा के दो जिलों कुरनूल और अनंतपुर को भी जोड़ने का प्रस्ताव है।
तेलंगाना को 1956 में आंध्र प्रदेश में मिलाया गया था. तब से कई बार अलग तेलंगाना राज्य के लिए अभियान किया जा चुका है. साल 2000 में अलग तेलंगाना अभियान ने एक बार फिर जोर पकड़ा और तब से हैदराबाद समेत राज्य के कई हिस्सों में लगातार विरोध प्रदर्शन होते रहे हैं. संप्रग-1 सरकार के साझा न्यूनतम कार्यक्रम में और संसद के संयुक्त अधिवेशन (2004) में राष्ट्रपति के अभिभाषण में सर्वसम्मति से अलग तेलंगाना राज्य के गठन की बात कही गई थी। 9 दिसंबर 2009 को अलग तेलंगाना राज्य बनाने के लिए केंद्र सरकार ने रिपोर्ट माँगी थी. तब से कई बार इस मु्द्दे को लेकर कई बैठक हो चुकी हैं.
नए तेलंगाना राज्य के गठन में राज्य के गठन में छह महीने का वक्त लगेगा। संसद के इसी सत्र में तेलंगाना पर बिल लाया जा सकता है। इसके लिए संसद द्वारा राज्य पुनर्गठन विधेयक को साधारण बहुमत से पारित कराने सहित कई कदम उठाने होंगे। इस विधेयक को लोकसभा और राज्यसभा में पारित कराने के लिए दो तिहाई बहुमत की आवश्यकता नहीं होगी।आंध्र प्रदेश राज्य विधानसभा को भी अलग तेलंगाना राज्य के गठन को लेकर एक प्रस्ताव पारित करना होगा।
हैदराबाद तेलंगाना बनने के मध्य एक बड़ी बाधा रहा है। राज्य की अर्थव्यवस्था में हैदराबाद का महत्व काफी अधिक है। हैदराबाद शहर और उसके पास के इलाके से राज्य के राजस्व का 55 प्रतिशत हिस्सा आता है यानी लगभग 40 हज़ार करोड़ रुपए. इसी तरह केंद्र सरकार को भी आंध्र प्रदेश से मिलने वाले राजस्व का 65 फीसदी हिस्सा यानी तकरीबन 35 हज़ार करोड़ रुपए इसी शहर से मिलता है। हैदराबाद से उत्पाद और सेवाओं का जो निर्यात विदेशों को होता है उसका मूल्य भी लगभग 90 हज़ार करोड़ रुपए का है जिसमें से सॉफ्टवेयर और आईटी सेवाओं का हिस्सा 60 हज़ार करोड़ रुपए का है और शेष भाग दवाओं के उद्योग और दूसरे क्षेत्रों से आता है.
तेलंगाना के लिए आन्दोलन कर रहे लोगों को मेरी तरफ से बधाई। …. मुझे यह उम्मीद है कि नए राज्य के गठन के बाद जो भी सरकार बनेगी, वह वहां के लोगो की भावनाओं को समझते हुए पिछड़ेपन को दूर करने का प्रयास करेगी और राजनितिक स्थिरता के लिए भी काम करेंगी। इसके साथ ही मुझे यह आशंका है कि अगर वहां पर झारखंड की तरह अस्थिरता उत्पन्न होती है तो तेलंगाना के गठन के मकसद पूरा नहीं होगा। इस निर्णय की सफलता की जिम्मेदारी हमारे माननीय राजनीतिज्ञों पर निर्भर करता है। साथ ही मुझे यह भी उम्मीद है कि सरकार सही समय पर द्वितीय राज्य पुनर्निर्माण आयोग का गठन करेगी और अन्य नए राज्यों के गठन की उचित मांगों पर विचार करेगी। हालांकि तेलंगाना के गठन की घोषणा में राजनीति ही दिख रही है।
सरकार ने मधुमक्खी के छतें में हाथ डाल दिया है। तेलंगाना के गठन की घोषणा होने के कुछ ही देर बाद गोरखालैंड के लिए गोरखा रीजनल अथॉरिटी के सीईओ बिमल गुरूंग ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया।गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के एक समर्थक ने गोरखालैंड के समर्थन में कलीमपोंग शहर के दंबरचौक में आत्मदाह की कोशिश की। तेलंगाना के गठन पर सहमति के बाद कई अन्य छोटे राज्यों के गठन की मांग ने जोर पकड़ लिया है। हरित प्रदेश, विदर्भ, पूर्वांचल, गोरखालैंड, बुंदेलखंड जैसे कई छोटे राज्यों की मांग सामने आने लगी है। क्या अब छोटे राज्य बनाने की प्रक्रिया यहीं से शुरू हो जाएगी।
नागपुर से कांग्रेस सांसद ने अलग विदर्भ के लिए बकायदा सोनिया गांधी को चिट्ठी भी लिख दी है। मायावती ने तेलंगाना के गठन का स्वागत करते हुए यूपी को 4 हिस्सों में बांटने की वकालत कर डाली।तेलंगाना के गठन के साथ ही बोडोलैंड की मांग कर रहे नेताओं ने भी अपने विरोध प्रदर्शनों को और तेज करने की चेतावनी दी।
तेलंगाना में 10 जिले शामिल किए गए हैं। हैदराबाद 10 वर्षों तक दोनों राज्यों की साझा राजधानी होगा। इसके बाद तटीय आंध्र के किसी हिस्से में आंध्र प्रदेश की राजधानी बनाई जाएगी जबकि हैदराबाद तेलंगाना राज्य की ही राजधानी रहेगा।तटीय आंध्र, तेलंगाना से अलग होगा और यह रायलसीमा के साथ मिलकर आंध्र प्रदेश बनेगा। कांग्रेस ने तेलंगाना को आंध्र प्रदेश के 23 में से 10 जिले देकर राज्य की तकरीबन आधी लोकसभा सीटें देने की कोशिश की है। विधानसभा की 294 सीटों में से प्रस्तावित तेलंगाना को 119 सीटें मिलने की संभावना है।
नए राज्य का नाम रायल-तेलंगाना हो सकता है। तेलंगाना में आदिलाबाद, निजामाबाद, करीमनगर, मेडक, वारंगल, खम्मम, रंगारेड्डी, नालगोंडा, महबूबनगर और हैदाराबाद जिलों के अलावा रायलसीमा के दो जिलों कुरनूल और अनंतपुर को भी जोड़ने का प्रस्ताव है।
तेलंगाना को 1956 में आंध्र प्रदेश में मिलाया गया था. तब से कई बार अलग तेलंगाना राज्य के लिए अभियान किया जा चुका है. साल 2000 में अलग तेलंगाना अभियान ने एक बार फिर जोर पकड़ा और तब से हैदराबाद समेत राज्य के कई हिस्सों में लगातार विरोध प्रदर्शन होते रहे हैं. संप्रग-1 सरकार के साझा न्यूनतम कार्यक्रम में और संसद के संयुक्त अधिवेशन (2004) में राष्ट्रपति के अभिभाषण में सर्वसम्मति से अलग तेलंगाना राज्य के गठन की बात कही गई थी। 9 दिसंबर 2009 को अलग तेलंगाना राज्य बनाने के लिए केंद्र सरकार ने रिपोर्ट माँगी थी. तब से कई बार इस मु्द्दे को लेकर कई बैठक हो चुकी हैं.
नए तेलंगाना राज्य के गठन में राज्य के गठन में छह महीने का वक्त लगेगा। संसद के इसी सत्र में तेलंगाना पर बिल लाया जा सकता है। इसके लिए संसद द्वारा राज्य पुनर्गठन विधेयक को साधारण बहुमत से पारित कराने सहित कई कदम उठाने होंगे। इस विधेयक को लोकसभा और राज्यसभा में पारित कराने के लिए दो तिहाई बहुमत की आवश्यकता नहीं होगी।आंध्र प्रदेश राज्य विधानसभा को भी अलग तेलंगाना राज्य के गठन को लेकर एक प्रस्ताव पारित करना होगा।
हैदराबाद तेलंगाना बनने के मध्य एक बड़ी बाधा रहा है। राज्य की अर्थव्यवस्था में हैदराबाद का महत्व काफी अधिक है। हैदराबाद शहर और उसके पास के इलाके से राज्य के राजस्व का 55 प्रतिशत हिस्सा आता है यानी लगभग 40 हज़ार करोड़ रुपए. इसी तरह केंद्र सरकार को भी आंध्र प्रदेश से मिलने वाले राजस्व का 65 फीसदी हिस्सा यानी तकरीबन 35 हज़ार करोड़ रुपए इसी शहर से मिलता है। हैदराबाद से उत्पाद और सेवाओं का जो निर्यात विदेशों को होता है उसका मूल्य भी लगभग 90 हज़ार करोड़ रुपए का है जिसमें से सॉफ्टवेयर और आईटी सेवाओं का हिस्सा 60 हज़ार करोड़ रुपए का है और शेष भाग दवाओं के उद्योग और दूसरे क्षेत्रों से आता है.
तेलंगाना के लिए आन्दोलन कर रहे लोगों को मेरी तरफ से बधाई। …. मुझे यह उम्मीद है कि नए राज्य के गठन के बाद जो भी सरकार बनेगी, वह वहां के लोगो की भावनाओं को समझते हुए पिछड़ेपन को दूर करने का प्रयास करेगी और राजनितिक स्थिरता के लिए भी काम करेंगी। इसके साथ ही मुझे यह आशंका है कि अगर वहां पर झारखंड की तरह अस्थिरता उत्पन्न होती है तो तेलंगाना के गठन के मकसद पूरा नहीं होगा। इस निर्णय की सफलता की जिम्मेदारी हमारे माननीय राजनीतिज्ञों पर निर्भर करता है। साथ ही मुझे यह भी उम्मीद है कि सरकार सही समय पर द्वितीय राज्य पुनर्निर्माण आयोग का गठन करेगी और अन्य नए राज्यों के गठन की उचित मांगों पर विचार करेगी। हालांकि तेलंगाना के गठन की घोषणा में राजनीति ही दिख रही है।
गाना ढपली पर फ़िदा, सुने नहीं फ़रियाद |
ReplyDeleteपड़े मूल्य करना अदा, धिक् धिक् मत-उन्माद |
धिक् धिक् मत-उन्माद, रवैया तानाशाही |
चमचे देते दाद, करें दिन रात उगाही |
राज्य नए मुख्तार, और भी कई बनाना |
और उठे आवाज, बना जो तेलंगाना ||
तेलंगाना राज्य और पहले बन जाना चाहिए था,,
ReplyDeleteRECENT POST: तेरी याद आ गई ...