गौतम बुद्ध नगर की एसडीएम दुर्गा शक्ति नागपाल को यूपी की अखिलेश सरकार ने सस्पेंड कर दिया। यूपी के सरकारी प्रवक्ता के मुताबिक काम में लापरवाही के चलते कारवाई की गई है। सरकार ने इस निलंबन पर सफाई दी है कि दुर्गा सांप्रदायिक सौहार्द्र कायम रखने में नाकाम रही हैं।लोगों का मानना है कि खनन माफिया के दबाव में यह कार्रवाई की गयी और यह गलत हुआ।इस निर्णय से सरकार की कार्य प्रणाली पर सवाल उठते है।ऐसा प्रतीत होता है की सरकारें ऐसे लोगों की कठपुतली होती जा रही है जो अवैध कार्यों में लगे हुए है।
नागपाल 2009 बैच की आईएएस ऑफिसर हैं। कुछ हफ्तों से ग्रेटर नोएडा में अवैध खनन पर लगाम कसने के लिए नागपाल युद्धस्तर पर काम कर रही थीं। उन्होंने यमुना नदी से रेत से भरी 300 ट्रॉलियों को अपने कब्जे में किया था। नागपाल ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश में यमुना और हिंडन नदियों में खनन माफियाओं पर नजर रखने के लिए विशेष उड़न दस्तों का गठन किया था। नागपाल ने सस्पेंड होने से पहले ही कहा कि था इन माफियाओं पर कार्रवाई की वजह से धमकियां मिलती हैं।
कई स्थानों पर तो खनन माफियाओं की शक्ति इतनी बढ़ गयी है की वे सम्बंधित अधिकारियों को जान से मारने की धमकी देते रहते है और बंधक भी बना लेते है। उत्तर प्रदेश में सपा की सरकार को लोगों ने बहुमत देकर विधान सभा में भेजा और यह उम्मीद किया क़ि अखिलेश यादव के नेतृत्व में इस बार एक ऐसी सरकार बनेगी जो पिछली सरकारों से अलग होगी लेकिन अभी तक इस सरकार ने ऐसा कोई भी काम नहीं किया है जिससे की लोगों को यह भरोसा हो सके की यह सरकार दूसरी सरकारों से अलग है।
उत्तर प्रदेश सरकार बीते डेढ़ साल में आधा दर्जन आईएएस अफसरों के खिलाफ एकतरफा कार्रवाई कर चुकी है. यह सिलसिला बढ़ता ही जा रहा है. ऐसे में जरूरी है कि मुख्यमंत्री अब अपनी कार्यप्रणाली बदलें. विपक्षी दलों के नेताओं और सेवानिवृत नौकरशाहों ने भी दुर्गाशक्ति के निलंबन को लेकर मुख्यमंत्री के फैसले पर कुछ ऐसे ही सवाल खड़े किए हैं.
ईमानदार अफसर को इस तरह से अच्छा काम करने के एवज में हटाया जाएगा तो अफसरों में क्या सन्देश जाएगा? दुर्गा नागपाल को सिविल सर्विसेज नियमावली के विपरीत हटाया गया है. किसी आईएएस अफसर को हटाने से पहले कम से कम उसकी कोई जांच करायी जानी चाहिए थी. इसके अलावा कम से कम डीएम से रिपोर्ट तो ली ही जानी चाहिए थी. बगैर डीएम की रिपोर्ट के ही उन्हें हटा दिया गया.
दुर्गा शक्ति का दोष इतना बड़ा नहीं था की उन्हें इसके लिए निलंबित किया जाय। इससे जो लोग निर्भय होकर काम करना चाहते है उन्हें निराशा होगी और वे हतोत्साहित होगें। बच्चों को किताबों में पढाया जाता है की इमानदार बनो , ऐसी घटनाओं से वे क्यों इमानदार बनाने की कोशिश करेंगें या और कोई भी क्यों इमानदार बनेगा जब सरकार ही माफियाओं के आगे घुटने टेक कर इमानदार लोगों को सजा दे रही हो।
नागपाल 2009 बैच की आईएएस ऑफिसर हैं। कुछ हफ्तों से ग्रेटर नोएडा में अवैध खनन पर लगाम कसने के लिए नागपाल युद्धस्तर पर काम कर रही थीं। उन्होंने यमुना नदी से रेत से भरी 300 ट्रॉलियों को अपने कब्जे में किया था। नागपाल ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश में यमुना और हिंडन नदियों में खनन माफियाओं पर नजर रखने के लिए विशेष उड़न दस्तों का गठन किया था। नागपाल ने सस्पेंड होने से पहले ही कहा कि था इन माफियाओं पर कार्रवाई की वजह से धमकियां मिलती हैं।
कई स्थानों पर तो खनन माफियाओं की शक्ति इतनी बढ़ गयी है की वे सम्बंधित अधिकारियों को जान से मारने की धमकी देते रहते है और बंधक भी बना लेते है। उत्तर प्रदेश में सपा की सरकार को लोगों ने बहुमत देकर विधान सभा में भेजा और यह उम्मीद किया क़ि अखिलेश यादव के नेतृत्व में इस बार एक ऐसी सरकार बनेगी जो पिछली सरकारों से अलग होगी लेकिन अभी तक इस सरकार ने ऐसा कोई भी काम नहीं किया है जिससे की लोगों को यह भरोसा हो सके की यह सरकार दूसरी सरकारों से अलग है।
उत्तर प्रदेश सरकार बीते डेढ़ साल में आधा दर्जन आईएएस अफसरों के खिलाफ एकतरफा कार्रवाई कर चुकी है. यह सिलसिला बढ़ता ही जा रहा है. ऐसे में जरूरी है कि मुख्यमंत्री अब अपनी कार्यप्रणाली बदलें. विपक्षी दलों के नेताओं और सेवानिवृत नौकरशाहों ने भी दुर्गाशक्ति के निलंबन को लेकर मुख्यमंत्री के फैसले पर कुछ ऐसे ही सवाल खड़े किए हैं.
ईमानदार अफसर को इस तरह से अच्छा काम करने के एवज में हटाया जाएगा तो अफसरों में क्या सन्देश जाएगा? दुर्गा नागपाल को सिविल सर्विसेज नियमावली के विपरीत हटाया गया है. किसी आईएएस अफसर को हटाने से पहले कम से कम उसकी कोई जांच करायी जानी चाहिए थी. इसके अलावा कम से कम डीएम से रिपोर्ट तो ली ही जानी चाहिए थी. बगैर डीएम की रिपोर्ट के ही उन्हें हटा दिया गया.
दुर्गा शक्ति का दोष इतना बड़ा नहीं था की उन्हें इसके लिए निलंबित किया जाय। इससे जो लोग निर्भय होकर काम करना चाहते है उन्हें निराशा होगी और वे हतोत्साहित होगें। बच्चों को किताबों में पढाया जाता है की इमानदार बनो , ऐसी घटनाओं से वे क्यों इमानदार बनाने की कोशिश करेंगें या और कोई भी क्यों इमानदार बनेगा जब सरकार ही माफियाओं के आगे घुटने टेक कर इमानदार लोगों को सजा दे रही हो।
ऐसे माहौल में कोई क्यों इमानदार बनेगा ?
ReplyDeleteये प्रश्न तो बनता है....
आज के हालात में बहुत कठिन होगया है ईमानदार के लिए कार्य करना..
ReplyDeleteबेहद निराशाजनक एवं कठिन समय है यह...
ReplyDeleteदरअसल वो तो किसी भी दबाव में नहीं आयीं ... न खनन माफिया न साम्प्रदायिक शक्तियों के ... ये दुर्भाग्य है देश का ...
ReplyDeleteबेहद निराशाजनक
ReplyDelete