Friday, July 13, 2012

आँखों का तर्क

तर्क बातों से ही नहीं बल्कि आँखों से भी होता है . आँखों का  तर्क समझना  मुश्किल है .इस तर्क को किसी परिभाषा में नहीं बंधा जा सकता .यह तर्क शब्दहीन  है पर बातों के तर्क से अधिक प्रभावकारी है .आँखों का तर्क इंसान को सच्चा इंसान बना देता है जबकि बातों का तर्क इंसान को जाहिल  बना देता है .

6 comments:

  1. सही है... क्योंकि आँखें सच्ची होती हैं...

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  2. बातों का तर्क इंसान को जाहिल बना देता है ...... सहमत हूँ....

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  3. आँखें जज़्बात बयां करती हैं....
    सो उनका तर्क सच्चा होगा ही.....

    बहुत सुन्दर विचार

    अनु

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  4. सुंदर सशक्त विचार ...!!
    शुभकामनायें.

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  5. सच कहा है आपने ... आँखों का तर्क ज्यादा वजनदार है ...

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