Tuesday, May 17, 2011

शून्य ....

रंगीली दुनिया कभी बेरंग क्यों लगती है ?
ज़िन्दगी इतनी छोटी है ,फ़िर लम्बी क्यों लगती है ?
इंसान दयालु से हैवान कैसे बन जाता है ?
कोई क्यों किसी को छोड़ कर चला जाता है ?
.....अंत में सब शून्य ही क्यों दीखता है ?

4 comments:

  1. बहुत गहन भाव...सुन्दर रचना.

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  2. दुनिया गोल है घूम फिरकर हमें फिर वहीं आना है जहां से शुरु हुई थी यह जिंदगी...
    सब कुछ शून्य में ही निहित है...

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  3. मन की वेदना लिए गहन अभिव्यक्ति....

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  4. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति| धन्यवाद|

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