आशा के पर लग गए और तुम अभी उड़े नहीं
क़यामत का इन्तजार कर रहे क्या ?
प्यारी चीज थी तो क्या हुआ ..
अब तो रहा नहीं ,
उस प्यार का लोभ...
अब तो छोड़ दो !
Monday, April 6, 2009
स्वेत श्याम का आनंद
स्वेत श्याम का अपना महत्व है । अपना आनंद है । उसे भी पसंद करो । रंगीन के आगोश में आकर उसे भूल जाओ ...यह न्याय नही है । वहां तुम्हे सादगी मिलेगी । तुम्हारी यादों को ताजा करेगी । तब तुम अपनी जड़ों से जुड़ पाओगे ।
स्वागत ब्लॉग परिवार में.
ReplyDeletesirf chand panktiyon mein kaafee kuchh keh diya aapne aandaaj pasand aayaa, aage prateekshaa rahegee, likhte rahein. swaagat hai.
ReplyDeleteसही कहा आपने।
ReplyDeleteलिखना उत्तम धन
ReplyDeleteकरदे मन प्रसन्न
तो आप यूँ ही लिखते रहिये
चिठ्ठा जगत में स्वागत है आपका
सुंदर अति सुंदर लिखते रहिये .......
ReplyDeleteआपकी अगली पोस्ट का इंतजार रहेगा
htt:\\ paharibaba.blogspost.comm
गहन
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