आज जरुरत है , आजाद ख़याल की । आजाद ख़याल तो कभी कभी ही आते है । पुराने भरे पड़े है । उन्ही में से आते रहते है । पर जब आजाद ख्याल आते है तो हलचल मचा देते है । कभी कभी ये ख्याल मन बहलाने के तरकीब ही नजर आते है । आजाद ख़याल तो आ जाते है फ़िर दब जाते है । हालात से समझौता कर लेते है । जब यही करना था तो आने का कोई मतलब नही रह जाता । आओ तो पुरी तरह से आओ , नही तो आओ ही मत ।
aajad khyl sunne me kitna accha lagta hai na . lekin khyal to kud hi man se bandhe hote hai .
ReplyDeletebahut gehri soch aur utne hee gehre vichaar :)
ReplyDeleteसही फरमाते हैं आप। आजाद ख्याल वाले लोग ही दुनिया को बदलते हैं।
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तस्लीम
साइंस ब्लॉगर्स असोसिएशन
पुराने ख़याल भी आज़ाद ख़याल हो सकते है,महसुस करने की क्षमता होनी चाहिए |
ReplyDeleteसुन्दर ख्याल।
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तस्लीम
साइंस ब्लॉगर्स असोसिएशन