Sunday, February 21, 2021

मौन

मौन वरदान है 
और अभिशाप भी
दो रास्तें है 
अब तय करना है 
कि चुनाव किसका हो

दोराहे पर खड़ा राहगीर
सोच रहा 
कदम किधर बढायें
मौन को कैसे साधें 
विकट समय है
निर्णयन की घड़ी है
वरदान या अभिशाप