Friday, April 10, 2009

कंकड़

पानी में कंकड़ डालना अच्छा है । आनंद भी आता है ।
इन्तजार करने का बहाना भी है । ठीक है ...पर कभी कभी ही ।
पानी के लिए जगह ही न बचे । इतना मत डालना । ये ठीक नही ।

3 comments:

  1. वाह!!!!बहुत सुन्दर..आज हम सब ऊपर तक कंकड भर देने की कोशिशें ही तो कर रहे हैं.

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  2. कंकड़ फेक कर इंतजार का वह बचपना था, अब तो "जूता-फेक" संस्कृति जन्म ले रही है और इसमें कोई इंतजार नहीं, क्रिया, प्रतिक्रिया सब कुछ त्वरित.....................


    चन्द्र मोहन गुप्त

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