ख़ुशी की हकीकत को
यहां मरते देखा है
तथाकथित व्यवस्था को
कराहते देखा है
प्रकृति को रौंद कर
ईश्वर का
गुणगान करते देखा है
रहनुमाओं द्वारा
निरीह मनई की लाशों पर
वृतचित्र को
रिलीज होते देखा है
संवेदनहीनता की पराकाष्ठा
मानवता की नीचता
तंत्र की असहिष्णुता
और तथाकथित भगवानों की
नपुंसकता को देखा है
ख़ुशी की हकीकत को
यहाँ मरते देखा है