कठिन शब्द नहीं जानता ,पर इंसान को पहचानता हूँ ....उन भूखे लोगो के लिए मन में कुछ विचार है जिन्हें करना है .जिंदगी के दौड़ में वे शायद पीछे रह गए ....गीता और कुरआन से पहले उन्हें पढना चाहता हूँ.
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मै और भाग नहीं सकता या फिर भागना चाहता ही नहीं ....कुछ ऐसा हुआ है, भागने की लालसा ख़त्म हो गयी ....चूहा दौड़ में अब मन नहीं रमता .....या तो मै बहुत पीछे छुट गया या फिर मेरी सोच जमाने से आगे है .......कुछ भी हो चूहा दौड़ अब मन नहीं रमता ......
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सच बोल कर भी लोग मजे से रह लेते है ...तो फिर झूठ बोल जमता नहीं ....सत्यवादी शायद नहीं हूँ ...पर सत्य के आगोश में जाना चाहता हूँ....
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मै और भाग नहीं सकता या फिर भागना चाहता ही नहीं ....कुछ ऐसा हुआ है, भागने की लालसा ख़त्म हो गयी ....चूहा दौड़ में अब मन नहीं रमता .....या तो मै बहुत पीछे छुट गया या फिर मेरी सोच जमाने से आगे है .......कुछ भी हो चूहा दौड़ अब मन नहीं रमता ......
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सच बोल कर भी लोग मजे से रह लेते है ...तो फिर झूठ बोल जमता नहीं ....सत्यवादी शायद नहीं हूँ ...पर सत्य के आगोश में जाना चाहता हूँ....