आशा के पर लग गए और तुम अभी उड़े नहीं
क़यामत का इन्तजार कर रहे क्या ?
प्यारी चीज थी तो क्या हुआ ..
अब तो रहा नहीं ,
उस प्यार का लोभ...
अब तो छोड़ दो !
Sunday, April 5, 2009
जिंदगी की कहानी
पत्थर पर लेटी हुई गुडिया , जिंदगी की कहानी बयान करती है । हम कोमल समझते है । वो पत्थर को भी मात दे देती है । हम उसे फूलों की सेज समझ बैठते है । वो हमें दिन में ही तारें दिखला देती है ।
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