Tuesday, October 22, 2013

गीता को हमलोग मजाक में प्रोफ़ेसर गीता शर्मा कहते थे.

13 दिसंबर 2000 का दिन... करीब तीन बजे हमारा ग्रुप बातचीत  करते हुए पन्त पार्क की ओर चल दिया। हम लोग स्नातक के द्वितीय वर्ष में थे। गोरखपुर विश्व विद्यालय में इस समय तक पीरियड ख़त्म हो जाते थे।  पन्त पार्क हमारी मटर गस्ती का एक महत्वपूर्ण ठिकाना था।  हमारी क्लास कला संकाय में चलती थी।  हमारे ग्रुप में 6  सदस्य थे।  उस दिन मौसम काफी सुहावना था।  इसलिए हमने तय किया की एक दो घंटे चर्चा करते है।  हमारे बीच चर्चा के विषयों में काफी विविधता होती थी।

पार्क में एक जगह सभी बैठ गए। शुरुआत हमेशा की तरह हमारे ग्रुप की सबसे तेज सदस्य गीता की तरफ से हुई।  गीता को हमलोग मजाक में प्रोफ़ेसर गीता शर्मा कहते थे।  गीता द्वारा किया गया पहला प्रश्न था।  जौनपुर में शर्की  राज्य की स्थापना किसने और कब की ?
हमें यह उम्मीद नहीं थी की प्रोफ़ेसर गीता अचानक ऐसा प्रश्न करेंगी।  लेकिन अब प्रश्न पर विचार करना जरुरी था।  पवन ने बताया की शार्की साम्राज्य की स्थापना फीरोज़ शाह तुगलक के एक अमीर  मलिक सरवर  द्वारा किया गया।  लेकिन उसे यह नहीं पता था कि इसकी स्थापना कब की गयी ?संयोग से मुझे पता था  मैंने तपाक से उतर दिया। … 1394 ई.में।

गीता द्वारा किया गया दूसरा प्रश्न था।  गुलबर्गा का एक स्वतंत्र  राज्य के रूप में स्थापना एवं यहाँ के वास्तु कला का विकास।  यह एक ऐसा प्रश्न था जिसका पूरा उतर शायद ही किसी को पता हो।  गुड्डू ने बताया - 1347 ई. में अलाउद्दीन बहमन के नेतृत्व में गुलबर्गा एक स्वतंत्र राज्य बना इसी के साथ दक्कन में वास्तुकला का विकास शरू हुआ।  नीना ने कहा - गुलबर्गा किले के अन्दर जो जमा मस्जिद है वह भिन्न तथा विशिष्ट है।  तभी मुझे अचानक याद आया की इस मस्जिद की  डिजायन  14 वीं सदी के महान शिल्पकार रफ़ी ने तैयार किया था।
आगे प्रश्न के उतर को गीता ने खुद पूरा किया -गुलबर्गा के जमा मस्जिद के बीच का खुला स्थान छोटे छोटे गुम्बदों से भरा पड़ा है जो मेहराब पर अवलम्बित और पास पास बने है।  संभवतः लीक से हट कर बनायीं मस्जिद का यह प्रारूप रुढ़िवादियों को पसंद नहीं आया।

इस प्रश्न को ग्रुप के सभी सदस्यों ने  सराहा और प्रश्न पूछने के लिए धन्यवाद भी दिया। अपनी तारीफ़ सुनकर गीता के होठों पर मुस्कान फ़ैल गयी।  एक बात और उसका चेहरा उस वक्त की चर्चित टेनिस खिलाड़ी मार्टिन हिंगिस से मिलता था। आगे की बातचीत फिर कभी ……

2 comments:

  1. बीती यादों का महाजाल छूटता नहीं है कभी ...

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  2. बेहतरीन प्रस्तुति !!

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