महापुरुषों की मूर्तियाँ लगवाकर उनको भूल जाना और महान विचारों को किताबों तक सीमित कर देना हमारा पुराना शगल है!!!
महिला सुरक्षा को लेकर अंतरराष्ट्रीय मंच पर हमारी छवि धूमिल ही हुई है।
16 दिसंबर 2012 कि उस स्याह रात का घटाटोप अंधेरा 2013 में भी कायम है!!!
दुनिया को कामसूत्र का ज्ञान देने वाला देश खुद अपने सेक्स से जुड़े मसलों को लेकर इतना असहाय हो गया!!!
भारत कई विरोधाभासों से भरा देश है!!!
बेहतरीन विचारणीय प्रश्न !!!
ReplyDeleteआप भी मेरे ब्लॉग को फालो करे मुझे हार्दिक खुशी होगी,,,,
RECENT POST: जुल्म
सच कहा आपने.
ReplyDeleteachi-*
ReplyDeleteसहमत हूँ.
ReplyDeleteबिल्कुल सच कहा है...
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