Saturday, July 14, 2012

रचना का भाव

रचना का भाव अगर अहिंसा हो तो ही रचना पूर्ण होती है .हिंसक रचनाएं इतिहास नहीं रच पाती .ऐसी रचनाएं समाज में समरसता की जगह विघटन पैदा करती है.दोस्तों हिंसक रचनाओं का त्याग कर देना ही बेहतर है .हमारा यह उतरदायित्व बनता है की हम समाज में समरसता का बीजारोपण करें . इसके लिए रचना का अहिंसक होना पहली और आखिरी शर्त है.

3 comments:

  1. हमारा यह उतरदायित्व बनता है कि हम समाज में समरसता का बीजारोपण करें ....
    इसके लिए रचना का अहिंसक होना पहली और आखिरी शर्त है ....
    सहमत हूँ .... आपकी लेखनी इतिहास रचेगी .... !
    शुभकामनाएं .... :)

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  2. आपका कहना सत्य है ... पर कभी कभी विप्लव जरूरी होता है अहिंसा की स्थापना के लिए ...

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  3. Aapke vicharon ke saath shatpratishat sehmat hun.

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