कौन हो तुम ? अपरिचित !
मेरे ह्रदय में उदार संवेदना को जागृत किया
आध्यात्मिक समझ को प्रेरित किया
मेरे मानस को झकझोर दिया
कल्पना को यथार्थ कर दिया
कौन हो तुम ? अपरिचित !
असाधारण काव्य सौन्दर्य को प्रकाशित किया
मनमोहक स्मृतियों को उभार दिया
मेरे दब्बूपन को आक्रोशित किया
मेरे जीवन का साक्षात्कार लिया
कौन हो तुम ? अपरिचित !
ReplyDeleteप्रेरणा (*_*)
बेहतरीन
ReplyDeleteसादर
बहुत अच्छी प्रस्तुति!
ReplyDeleteइस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार (25-08-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!
Sunder Panktiyan...
ReplyDeleteBadee hee sundar rachana!
ReplyDeleteबहुत खूब !
ReplyDeleteवो अपरिचित ज्यादातर
परिचित होता है
जरूरी नहीं कि सबको
पता होता है !
सुंदर प्रस्तुति ...
ReplyDeleteवो ही तो सर्व नियन्ता है।
ReplyDeleteकल 26/08/2012 को आपकी यह बेहतरीन पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
ReplyDeleteधन्यवाद!
सुंदर उद्गार हृदय के ...शुभकामनायें
ReplyDeleteसुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleteसुंदर काव्य सृजन।
ReplyDeleteजीवन से साक्षात्कार तो इंसान स्वयं ही करता है ...
ReplyDeleteलाजवाब ...
bahut sundar rachna
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