निरंकुशता अमानवीय है .निरंकुश व्यक्ति दुसरे का भला नहीं कर सकता .कोई संस्था भी अगर निरंकुश हो जाय तो लोगों पर बोझ बढ़ जाता है. निरंकुशता सामंजस्य को तोड़ देता है . अहंकार को बढ़ावा देता है . यह प्रवृति हमारे माननीय राजनेताओं घर कर गयी है . इसका असर संसद पर भी परिलक्षित हो रहा है .यह भारतीय लोकतंत्र के लिए शुभ संकेत नहीं है .संसद सामंती संस्था के रूप में काम न करे, इसे देखना अत्यावश्यक है.
निरंकुशता अमानवीय है !
ReplyDeleteसच्ची बात !
Sahmat hun..
ReplyDeleteनिरंकुशता तो अब हर जगह छाने लगी है
ReplyDeleteआदमी को भी अब नींद सी आने लगी है !
यही हो रहा है..... सहमति
ReplyDeleteसत्य कथन
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