बंद होठ कुछ गए
आँखें बातें करती रही
सपने रंगीन हो गए
ऐसा नशा छाया,कि
शाम में ही सवेरा हो गया
हवा में उड़ने लगा
...और उड़ता ही चला गया
आँखें बातें करती रही
सपने रंगीन हो गए
ऐसा नशा छाया,कि
शाम में ही सवेरा हो गया
हवा में उड़ने लगा
...और उड़ता ही चला गया
बंद होंठ भी बहुत कुछ बोल जाते हैं |
ReplyDeleteदिवास्वप्न में प्रायः ऐसा ही होता है।
ReplyDeleteअच्छी क्षणिका है।
bouth he aacha post hai aapka dear friendd,... good going
ReplyDeletePleace visit My Blog Dear Friends...
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मन से मन की बात में शब्दों का स्थान कहाँ ....सुंदर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteलोग कहते हैं कि बंद होठों से कही गयी बात ज्यादा प्रभावी होती है।
ReplyDelete---------
क्या आपको मालूम है कि हिन्दी के सर्वाधिक चर्चित ब्लॉग कौन से हैं?
वाह...चंद लफ़्ज़ों में ही सारी बात कह दी...
ReplyDeleteनीरज
wah!
ReplyDeleteyahi to rachna ki sarthakta hai ki kam shabdon me bahut kuchh kah jaye .
चंद लफ़्ज़ों में ही बात कह दी.
ReplyDeleteगणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाइयाँ !!
Happy Republic Day.........Jai HIND
चंद लफ़्ज़ों में ही सारी बात कह दी|
ReplyDeleteगणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाइयाँ|
bahut acha..
ReplyDeletemeri kavita wale blog me bhi aaye aur acha lage to follow karen..
www.pradip13m.blogspot.com
शाम में ही सवेरा हो गया
ReplyDeleteशाम में भी सवेरा होना क्या बात है ...बहुत बढ़िया रचना
बहुत सुंदर
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