Sunday, January 23, 2011

बंद होठ कुछ गए ...

बंद होठ कुछ गए
आँखें बातें करती रही
सपने रंगीन हो गए 
ऐसा नशा छाया,कि
शाम में ही सवेरा हो गया
 हवा में उड़ने लगा
  ...और उड़ता ही चला गया

12 comments:

  1. बंद होंठ भी बहुत कुछ बोल जाते हैं |

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  2. दिवास्वप्न में प्रायः ऐसा ही होता है।

    अच्छी क्षणिका है।

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  3. bouth he aacha post hai aapka dear friendd,... good going

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  4. मन से मन की बात में शब्दों का स्थान कहाँ ....सुंदर अभिव्यक्ति

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  5. लोग कहते हैं कि बंद होठों से कही गयी बात ज्‍यादा प्रभावी होती है।

    ---------
    क्‍या आपको मालूम है कि हिन्‍दी के सर्वाधिक चर्चित ब्‍लॉग कौन से हैं?

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  6. वाह...चंद लफ़्ज़ों में ही सारी बात कह दी...

    नीरज

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  7. wah!
    yahi to rachna ki sarthakta hai ki kam shabdon me bahut kuchh kah jaye .

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  8. चंद लफ़्ज़ों में ही बात कह दी.
    गणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाइयाँ !!

    Happy Republic Day.........Jai HIND

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  9. चंद लफ़्ज़ों में ही सारी बात कह दी|
    गणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाइयाँ|

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  10. bahut acha..
    meri kavita wale blog me bhi aaye aur acha lage to follow karen..
    www.pradip13m.blogspot.com

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  11. शाम में ही सवेरा हो गया
    शाम में भी सवेरा होना क्या बात है ...बहुत बढ़िया रचना

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