किसी ने मुझसे कहा था की ईश्वर ने आँखें दी है तो उसे खुला रखो .हर जगह तुम्हे कुछ न कुछ सीखने को मिल जायेगा .सच कहा था,उस सज्जन ने ! हर वक्त और हर जगह हम कुछ न कुछ सीखते रहते है .आँखें खुली रखने पर इंसान सक्रीय रहता है और जीवंत भी .सबसे अच्छी बात है... प्रकृति के निकट जाकर सीखना .हाँ इसके लिए वक्त देना होगा .सारे सवालों और उलझनों को प्रकृति की गोद में बैठकर सुलझा सकते है ,पर इसके लिए प्रकृति से प्यार करना होगा एवं उसे समझना होगा .
हर रहस्य का राज प्रकृति में समाहित है ...इसे जानने के लिए प्रकृति की गोद में जाना होगा. आज हम प्रकृति के साथ खिलवाड़ कर अपनी जीत का जश्न मना रहे है ,यह बहुत दुखद है .....लोग अपनी सुख सुविधाओं के चक्कर में प्रकृति को बर्बाद कर रहे है ...पर हम यह नहीं जानते , हम अपने ही और अपने बच्चों के फ्यूचर को बर्बाद कर रहे है .
@
ReplyDeleteसारे सवालों और उलझनों को प्रकृति की गोद में बैठकर सुलझा सकते है ,पर इसके लिए प्रकृति से प्यार करना होगा एवं उसे समझना होगा ।
------------
सही बात है, प्रकृति से दूर जाने पर ही सारी समस्याएं पैदा होती हैं।
सारे सवालों और उलझनों को प्रकृति की गोद में बैठकर सुलझा सकते है ,पर इसके लिए प्रकृति से प्यार करना होगा एवं उसे समझना होगा .
ReplyDeleteEkdam sahee kaha aapne!
prakrati se pyar kren bas sab kam apne aap ho jayenge ,achhi soch ,badhai
ReplyDeleteयह तो सच है ...शुभकामनाये !
ReplyDeleteआदरणीय मार्क रॉय जी
ReplyDeleteनमस्कार !
सही बात है, प्रकृति से दूर जाने पर ही सारी समस्याएं पैदा होती हैं।
आपने ब्लॉग पर आकार जो प्रोत्साहन दिया है उसके लिए आभारी हूं
ReplyDeletesahi bat kahi aapne
ReplyDeleteis bar mere blog par
'main'
kabhi yaha bhi aaye