आशा के पर लग गए और तुम अभी उड़े नहीं क़यामत का इन्तजार कर रहे क्या ? प्यारी चीज थी तो क्या हुआ .. अब तो रहा नहीं , उस प्यार का लोभ... अब तो छोड़ दो !
very nice.
प्राकृतिक लीला को चुपचाप देखने के अलावा हम कर ही क्या सकते हैं।
A philosopher had said, it's better to be a part of play than to be in audience. Nice couplet.
बहुत ख़ूब... लिखते रहिए...
इसी को तो प्रकृति .. या ईश्वर कहते हैं ...
very nice.
ReplyDeleteप्राकृतिक लीला को चुपचाप देखने के अलावा हम कर ही क्या सकते हैं।
ReplyDeleteA philosopher had said, it's better to be a part of play than to be in audience.
ReplyDeleteNice couplet.
बहुत ख़ूब... लिखते रहिए...
ReplyDeleteइसी को तो प्रकृति .. या ईश्वर कहते हैं ...
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