Tuesday, July 17, 2012

आज की समस्या

आज की समस्या केवल यह नहीं कि क्या करना है ...यह भी कि कैसे होगा ? वाह ! यही तो पूंजीवाद और उदारवाद का रूप है . सभी तरफ खामोशी ही खामोशी ....लोगो के जुबान बंद कर दिए जाते ....मुंह में पैसे खिला कर ....कुछ तो बधाई के पात्र है उन्होंने ऐसा समाज का उदघाटन जो किया है ...नरक तो अब स्वर्ग से भी अधिक प्रतिष्ठित हो गया... उसने अपनी जाति बदल दी ....देवता लोग भ्रमित है क्या करे ! कायर कहीं के ....छुप गए है. उन्हें इस चमचमाती तलवार से डर जो लगने लगा है ....ईश्वर भी निराशा के दौर में पालथी लगा के बैठ गया है ...उसे भी इस व्यस्था का तोड़ नहीं सूझ रहा ....

1 comment:

  1. अगर समाज की बदलती परिस्थति का हल ऐसा ही रहा अपने देश में तो जल्दी ही नरक का बोलबाला होने वाला है ... व्यंगात्मक चिंतन ..

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