रचना का भाव अगर अहिंसा हो तो ही रचना पूर्ण होती है .हिंसक रचनाएं इतिहास नहीं रच पाती .ऐसी रचनाएं समाज में समरसता की जगह विघटन पैदा करती है.दोस्तों हिंसक रचनाओं का त्याग कर देना ही बेहतर है .हमारा यह उतरदायित्व बनता है की हम समाज में समरसता का बीजारोपण करें . इसके लिए रचना का अहिंसक होना पहली और आखिरी शर्त है.
हमारा यह उतरदायित्व बनता है कि हम समाज में समरसता का बीजारोपण करें ....
ReplyDeleteइसके लिए रचना का अहिंसक होना पहली और आखिरी शर्त है ....
सहमत हूँ .... आपकी लेखनी इतिहास रचेगी .... !
शुभकामनाएं .... :)
आपका कहना सत्य है ... पर कभी कभी विप्लव जरूरी होता है अहिंसा की स्थापना के लिए ...
ReplyDeleteAapke vicharon ke saath shatpratishat sehmat hun.
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