तर्क बातों से ही नहीं बल्कि आँखों से भी होता है . आँखों का तर्क समझना मुश्किल है .इस तर्क को किसी परिभाषा में नहीं बंधा जा सकता .यह तर्क शब्दहीन है पर बातों के तर्क से अधिक प्रभावकारी है .आँखों का तर्क इंसान को सच्चा इंसान बना देता है जबकि बातों का तर्क इंसान को जाहिल बना देता है .
सही है... क्योंकि आँखें सच्ची होती हैं...
ReplyDeleteबातों का तर्क इंसान को जाहिल बना देता है ...... सहमत हूँ....
ReplyDeleteआँखें जज़्बात बयां करती हैं....
ReplyDeleteसो उनका तर्क सच्चा होगा ही.....
बहुत सुन्दर विचार
अनु
Wah!
ReplyDeleteसुंदर सशक्त विचार ...!!
ReplyDeleteशुभकामनायें.
सच कहा है आपने ... आँखों का तर्क ज्यादा वजनदार है ...
ReplyDelete