निचले पैदान पर जी रहे लोगो को जोड़ कर ही कोई आन्दोलन या क्रांति हो सकती है .उनको समय रहते ही संगठित करना होगा .भारत में रक्तरंजित क्रांति नहीं बल्कि रक्तहीन क्रांति की जरुरत है . किसी भी लोकतान्त्रिक देश में यही क्रांति का सर्वोत्तम रूप हो सकता है .देश एक नए दौर में पहुँच रहा है जहाँ पर उत्साही नौजवानों की जरुरत है ,वे ही क्रांति का नेतृत्व कर सकते है .सभी वर्गों में समन्वय होना इसकी पहली शर्त है ,दुःख की बात है की हमारे देश में इसी चीज की सबसे बड़ी कमी है .जबतक सभी वर्ग के लोगो में समन्वयन नहीं हो जाता तबतक पूर्ण क्रांति की बात करना बेमानी होगी ...यहीं अंतिम सत्य है .
आज के ज्यादातर नौजवानों को क्रांति का अनुभव नहीं है .अनुभव लेना पड़ेगा ...केवल दिवास्वप्न देखने भर से गरीबों और मजदूरों को न्याय नहीं मिलेगा और न ही क्रांति होगी ....
तो फिर !....क्रांति का पाठ्यक्रम तैयार करो और उसे धरातल पर उतार दो .
आज हमारे साहित्यकारों ,कवियों ,पत्रकारों की कलम चुक गयी है ,पैसे की आहट सुन कर ही लिखती है ...क्रांति के लिए तो उसमे जंग लग गया है .....तो फिर क्रांति कैसे होगी ?
सही कहा है आपने.
ReplyDeletebilkul sahi kahaa aapne...
ReplyDelete:))
नई पीढ़ी को समझना होगा क्रांति का अर्थ।
ReplyDeleteaap sabhi ka bahut bahut dhanywaad .......aaj ke halaat ko dekhte hue kranti ka arth samjhna hi hoga........
ReplyDeleteआपके विचार सार्थक और अच्छे हैं.
ReplyDeleteआपकी मेल से आपके ब्लॉग पर आना हुआ.
सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार.
मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है.
BAHUT BAHUT DHANYWAAD RAKESH JI....
ReplyDeleteसही है ... क्रान्ति के लिए किसी क्रांतिकारी को आगे आना होगा ...
ReplyDelete