आशा के पर लग गए और तुम अभी उड़े नहीं क़यामत का इन्तजार कर रहे क्या ? प्यारी चीज थी तो क्या हुआ .. अब तो रहा नहीं , उस प्यार का लोभ... अब तो छोड़ दो !
बहुत अच्छी भावपूर्ण रचना..बधाई स्वीकारेंनीरज
dard ki hawa mein yaadon ke kan hote hain...
NIRAJ JI AUR RASHMI JI comment aur apna opinion share karne ke liye shukriya....
सच कहा ... पर इन जुल्फों की छाँव से बचना भी आसान नहीं ...
bahut sahi ....umda
बहुत खूब..:):)
बहुत अच्छी भावपूर्ण रचना..बधाई स्वीकारें
ReplyDeleteनीरज
dard ki hawa mein yaadon ke kan hote hain...
ReplyDeleteNIRAJ JI AUR RASHMI JI comment aur apna opinion share karne ke liye shukriya....
ReplyDeleteसच कहा ... पर इन जुल्फों की छाँव से बचना भी आसान नहीं ...
ReplyDeletebahut sahi ....umda
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