मेरा हर ख्वाब तुमसे है । ख़्वाबों में तुझे ही हर रोज पाता हूँ ।
.....और तुम गुमसुम बैठी हो । ये ठीक नही है ....अब मुस्कुरा भी दो ।
मुझे अच्छा लगेगा ।
तुझे देख कर ही तो ख्वाब बुनता हूँ । कैसे तोड़ दूँ ?
ख़्वाबों में ही तुझे तराशा है । कड़ी मेहनत से एक मूरत बनी है ।
कैसे छोड़ दूँ ?
तेरी चमकीली आँखें ...मेरे सपनों की बुनियाद है ।
अब आ जाओ ...देर न करो । ये ठीक नही है ।
.....और तुम गुमसुम बैठी हो । ये ठीक नही है ....अब मुस्कुरा भी दो ।
मुझे अच्छा लगेगा ।
तुझे देख कर ही तो ख्वाब बुनता हूँ । कैसे तोड़ दूँ ?
ख़्वाबों में ही तुझे तराशा है । कड़ी मेहनत से एक मूरत बनी है ।
कैसे छोड़ दूँ ?
तेरी चमकीली आँखें ...मेरे सपनों की बुनियाद है ।
अब आ जाओ ...देर न करो । ये ठीक नही है ।
Behad sundar rachana...chhot-si,pyaree-si!
ReplyDeleteसुंदर भाव की रचना
ReplyDeleteमान-मनुहार के भाव..
ReplyDeleteसुंदर लिखा है आपने।
aap sabhi ka bahut bahut dhanywaad...
ReplyDeleteबहुत खूब ... ख़्वाबों में तो हर रोज मिलता ही हूँ ... कभी प्रत्यक्ष भी मिलो ... लाजवाब ख्याल की अभिव्यक्ति ,...
ReplyDeletethanks digamber ji....abhi to khwaabo me hi thik hai....
ReplyDeleteबहुत ख़ूबसूरत रचना लिखा है आपने! हर एक शब्द लाजवाब है! शानदार प्रस्तुती!
ReplyDeleteआपको एवं आपके परिवार को नवरात्रि पर्व की हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनायें !
dhanywaad Babli ji...kaphi dino baad .....aapko bhi navraatr ki shubh kaamna...
ReplyDeleteआपको एवं आपके परिवार को दशहरे की हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनायें !
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