आशा के पर लग गए और तुम अभी उड़े नहीं क़यामत का इन्तजार कर रहे क्या ? प्यारी चीज थी तो क्या हुआ .. अब तो रहा नहीं , उस प्यार का लोभ... अब तो छोड़ दो !
बहुत बढि़या ।
chaah to badi achhi hai
गिरे हुए सूखे पत्तों को चुन कर एक सेज सजाऊं उसपर बैठ हर दिन कह्कहें लगाऊं ! Wah! Bachpan isee tarah yaad aata hai!
aap sabhi ka protsaahan ke liye dhanywaad....
बिलकुल जो जीवन पे हँसता है उतना ही उसे जीता है ...
सुन्दर रचना
बहुत बढि़या ।
ReplyDeletechaah to badi achhi hai
ReplyDeleteगिरे हुए
ReplyDeleteसूखे पत्तों को
चुन कर
एक सेज सजाऊं
उसपर बैठ
हर दिन
कह्कहें लगाऊं !
Wah! Bachpan isee tarah yaad aata hai!
aap sabhi ka protsaahan ke liye dhanywaad....
ReplyDeleteबिलकुल जो जीवन पे हँसता है उतना ही उसे जीता है ...
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